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Akhilesh Yadav as Chief Minister of Uttar Pradesh
यूपी चुनाव खत्म हुए तो नतीजों ने पूरे देश को चौंका दिया. राहुल गांधी की चुनावी रैलियों की भीड़ देखकर और मायावती की सोशल इंजीनियरिंग देखकर किसी ने सोचा भी ना था कि इन दिग्गजों को वह आदमी पछाड़ देगा जो अभी राजनीति की एबीसी सीख रहा है. सपा के युवराज अखिलेश यादव ने अपने पिता की डगमगाती राजनीतिक कश्ती को सहारा दिया और यूपी में सपा का ऐसा प्रचार किया कि हर तरफ सिर्फ साइकिल ही साइकिल नजर आने लगी. जीत मिली तो साथ ही पूर्ण बहुमत से साफ कर दिया कि सपा को किसी से हाथ मिलाने की जरूरत भी नहीं. किसी ने सोचा भी नहीं होगा कि अखिलेश यादव जिन्हें कल तक राजनीति के जानकार बच्चा कह रहे थे वह इतना बड़ा उलट-फेर करके महानायक बन जाएंगे.
चुनावी नतीजों के बाद खिंचतान मुख्यमंत्री पद की थी. सपा में मुलायम सिंह यादव मुख्यमंत्री बनें या अखिलेश यादव इस पर होली के दिन तक सस्पेंस कायम रहा पर विधायक दल की बैठक में अखिलेश यादव की ताजपोशी के फैसले ने उत्तर प्रदेश को एक युवा और राज्य का सबसे कम उम्र का मुख्यमंत्री दिया. उत्तर प्रदेश की हैसियत केंद्रीय राजनीति में तुरूप के इक्के की तरह है और यहां का मुख्यमंत्री होना किसी के लिए भी गर्व की बात है. पर इस समय उत्तर प्रदेश की जो हालात है उसे देखते हुए तो अखिलेश यादव के ताज में कांटे ही कांटे नजर आते हैं.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी को मिले प्रचंड जनादेश के बाद सबसे कम उम्र में मुख्यमंत्री बनने जा रहे अखिलेश यादव के सामने चुनावी वादों को पूरा करने की सबसे बड़ी चुनौती है. साथ ही सूबे की कानून-व्यवस्था को लेकर पूर्ववर्ती मायावती सरकार द्वारा खींची गई लकीर को बड़ी करने की बड़ी चुनौती होगी. आइए एक नजर डालें कि आखिर कौन सी चुनौतियां होंगी इस यंग सीएम के सामने:
1. 10वीं पास विद्यार्थियों को टैबलेट पीसी, 12वीं पास विद्यार्थियों को लैपटॉप
2. विभिन्न फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में 50 प्रतिशत की वृद्धि
3. छोटे व सीमांत किसानों को पेंशन, चार प्रतिशत पर कर्ज, मुफ्त बिजली
4. किसानों पर बैंकों के बकाये कर्ज के लिए माफी योजना
5. अधिग्रहण का मूल्य मौजूदा सर्किल रेट से छह गुना ज्यादा
6. बेरोजगारों को बेरोजगारी भत्ता
सबसे बड़ी चुनौती
लेकिन सबसे बड़ी चुनौती होगी सपा के नाम पर लगे गुण्डा पार्टी के धब्बे को साफ करना. सब जानते हैं समाजवादी पार्टी का मतलब गुण्डा पार्टी है. पार्टी में दर्जन से ज्यादा नेता और विधायक दागी हैं जिन पर गंभीर आपराधिक मामले हैं. और इन सब के अलावा पार्टी के अधिकतर कार्यकता भी कुछ इसी प्रवृति के हैं. चुनावी नतीजे निकलते ही प्रदेश के कई जिलों में सपा के कार्यकताओं ने अपनी दबंगई दिखानी शुरू कर दी. सपा की जीत ने उनके चमचों और गुण्डों को भयमुक्त करने का काम किया है.
अब अखिलेश यादव को, जिन्होंने बार-बार अपनी चुनावी सभाओं में गुण्डाराज को दूर भगाने और किसी भी बाहुबली को बर्दाश्त ना करने की बात की थी, उसे पूरा करना होगा. सब जानते हैं अगर राजा चाहे तो कोई भी सर उठाकर गलत काम नहीं कर सकता. और अखिलेश यादव जैसे युवा और समझदार पढ़े-लिखे राजा से तो उत्तर प्रदेश की जनता यही चाहेगी कि वह बाहुबलियों को अपने काबू में रखें.
साफ-सुथरी छवि, सहज अंदाज और डीपी यादव जैसे माफियाओं को पार्टी में शामिल न करने जैसे कुछ फैसलों से जनता के दिल में जगह बनाने वाले अखिलेश के सामने चुनावी वादे पूरे करने के साथ सुशासन के जरिये लोगों को यह भरोसा दिलाने की हर पल यह चुनौती होगी कि उन्होंने सपा को बहुमत देकर कोई गलती नहीं की. अब देखना है इस कसौटी पर अखिलेश कितना खरे उतरते हैं.
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