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MAYAWATI IN UTTAR PRADESH
भारतीय लोकतंत्र में कुर्सी का खेल भी अजीब होता है. अगर बहुमत मिले तो सरकार बन जाती है वरना जो कल राजा था वह सड़क पर आ जाता है. इस समय यूपी की पूर्व मुख्यमंत्री मायावती जो कभी सिंहासन पर बैठती थीं उनकी हालत अब विपक्ष में बैठने की है. लेकिन मायावती ऐसी खिलाड़ी नहीं जो हारने के बाद मैदान में बनी रहें बल्कि वह तो जहां जाती है शान से रहना पसंद करती हैं और यही वजह है कि विधानसभा चुनावों में मिली करारी हार के बाद उन्होंने राज्यसभा का रुख किया है.
उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी से चुनावी जंग हार चुकी बहुजन समाज पार्टी की अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री मायावती का राज्यसभा में जाना अप्रत्याशित नहीं है. मायावती अपने राजनीतिक इतिहास में कभी भी विपक्ष में नहीं बैठी हैं और सत्ता छिनते ही हमेशा दिल्ली का रुख करती हैं. मायावती में एक और खासियत है कि वह विधानमंडल में बतौर मुख्यमंत्री ही हाजिर हुई हैं.
मायावती एक अलग तरह की नेता हैं. उन्होंने अपनी लगभग डेढ़ दशक की राजनीति में विधायक या विधान परिषद सदस्य की हैसियत से कभी भी विधानभवन में अपनी मौजूदगी दर्ज नहीं कराई है और न ही विपक्ष की नेता की हैसियत से सदन के अंदर कोई मुद्दा उठाया है. पहली बार 3 जून, 1995 को मुख्यमंत्री बनने के बाद से उन्होंने सिर्फ मुख्यमंत्री की हैसियत से ही सदन में प्रवेश किया है.
लखनऊ में मायावती ने मंगलवार को राज्यसभा के लिए अपना नामांकन दाखिल करने के बाद कहा कि वह बसपा नेताओं की इच्छा के सम्मान में राज्यसभा जा रही हैं. पर यह सच नहीं है, जब भी बसपा प्रमुख के हाथ से सत्ता छिनी है, वह विधानसभा या विधान परिषद की सदस्यता से इस्तीफा देकर दिल्ली कूच कर गई हैं.
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